COVID- 19 FIGHTERS

THANK YOU HEROES

Covid-19, or simply corona virus, has spread like wildfire, leaving behind an alarming number of victims. But along with awareness campaigns, advocating and quarantine, an entire army of paramedics, health assistants, nurses, and doctors have risen to fight this deadly virus.

So here I am paying tribute to our real front line heroes in the battle against covid-19.

संकट की इस घडी में खड़े हैं वो एसे सीना तान
हराएंगे इस दुखद घडी को भी जैसे मान लिया हो ठान

छोड़ अपने परिवारों को, रख हथेली पे अपनी जान
कर हर संभव कोशिश जो दे रहें हैं हमें जीवन दान

ये ही तो हैं हमारे देश की असली आन बान और शान
होके नतमस्तक इनके आगे करता हूँ मैं इनका सम्मान

छोड़ आराम घरों का, खड़ें हैं हर पल ये देश के कोहिनूर
तो कैसे ना होगी कोई भी विपदा टकराके इनसे चूर-चूर

 

 

बलात्कार (Rape)

“Rape is one of the most terrible crimes on earth and it happens every few minutes. The problem with groups who deal with rape is that they try to educate women about how to defend themselves. What really needs to be done is teaching men not to rape. Go to the source and start there.”

अखबारों की भी ना सूखी अभी स्याही थी
कि एक और बलात्कार की खबर खड़ी तैयार थी

ना जाने कितनी ही दामिनी और आसिफा..
रोज होतीं इसकी शिकार हैं
ओ बेरहम इंसान तेरी इंसानियत पे भी धिक्कार है

पूजता है देवी को और उसी के वरदान को पैरों तले कुचलता है
देख इस हैवानियत का चेहरा मन मेरा भी सेहर उठता है

बहन है वो किसी की.. तो किसी के आंख का तारा है
घर को रोशन कर दे वो ऐसा एक चमकता सितारा है

उस माँ-बाप के जीवन में अँधेरा करने का.. जो किया है तूने पाप
भूलना नहीं कि कल तू भी बनेगा शायद.. “एक बेटी का बाप “

बचपन

एक समय था…थी होठों पे मासूम सी मुस्कान
बचपन के सुनहरे पलों से सजी थी सुंदर सी एक दुकान

वक्त भी था अपने साथ और दोस्तों का मेला था
बस चारों ओर खुशियों ने.. घेरा एक डेरा था

वो भी क्या जमाना था जब हर कोई अपने पास था
बिताया सबके साथ वो हर एक पल कितना ख़ास था

ना वक़्त पे कोई पावंदी थी.. ना मिलने का कोई बहाना था
बस लिए हाथों में हाथ.. साथ चलते जाना था

जब ना था बोझ जिम्मेदारियों का.. बस कंधों पे छोटा सा बस्ता था
क्या बताऊ जनाब..सुकून के मामले में वो जमाना कितना सस्ता था

इंसानियत के रूप

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है कश्मकश के भवर में मन मेरा यूँ फसा
खुद इंसान ने इंसानियत के गले में
ना जाने कैसा फंदा है कसा

देखा इन आँखों ने इंसान के बहुतेरे रूप
बदल के आई वक्त-वक्त पे जो अपने कई स्वरूप

पल दो पल में बदल जाता है इंसानियत का चेहरा
ना जाने किस्मे छुपा है राज कितना गेहरा

करते तो हैं लोग बैठके ध्यान- ज्ञान की बातें
पर खुद ही बिन उतारे उन्ही बातों को
गुजार देते हैं दिन और रातें

उतार के ये बातें जीवन में बदल पहले तू खुदको
मिलेगा सम्मान चारों ओर से देखना तभी फिर तुझको

कोई भी तेरे खिलाफ फिर ऊँगली नहीं उठाएगा
उलटा देख तेरे व्यक्तित्व को वो अपना शीश झुकाएगा

जो लिया इंसानियत का पाठ तुमने अपने जीवन में उतार
ना चढ़ पाएगा कभी तुमपे फिर छल कपट का बुखार

मेरी ताकत

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कर ले ऐ-दुनिया तू चाहें सितम जितना

ना मैं बिखरा था, ना बिखरूँगा !

जो होजाऊं मैं धूमिल अंधकार के बादलों में

हर बार सितारे की भाति मैं चमकूँगा !

 

आजमाले मेरे इरादे की ताकत को तू

हर बार इरादों में लेके नई आग मै निकलूंगा !

बिछादे चाहें राह में रोड़े जितने तू

क़दमों को अब ना मैं पीछे हटाऊँगा !

 

ना समझना लाचार मुझे तू

साथ मेरे अच्छाई की ताकत है !

क्या करेगा तू चूर-चूर मुझे

तेरे में क्या इतनी हिमाकत है ??

 

तूफ़ान

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बड़ा जो अपनी मंजिल की ओर
सामने अपने एक तूफ़ान पाया

देख आता मुझे अपनी ओर
मन ही मन वो मुस्कुराया

सोचा उसने कि मुझे हरा देगा
वजूद मेरा वो मिटा देगा

पर मेरे हौसले के आगे वो टिक ना पाया
आत्म-विश्वास को मेरे वो हिला ना पाया

मानके आखिर में हार वो भी रास्ते से हट गया
देखा मैने एकाएक हर मुसीबत का बादल छट गया

इसी हौसले ने मुझे मेरी मंजिल की ओर बढ़ाया
कर सकता है तू हर मुश्किल का सामना,
उसी ने मुझे ये बतलाया

जिंदगी का सफर

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खोया है कुछ तो कुछ पाया भी है
जिंदगी के सफर ने बहुत कुछ सिखाया भी है

गिरा हूँ अगर तो खुद उठके कदम बढ़ाया भी है
सुख हो या गम दोनों को ही गले लगाया भी है

छूटे कुछ नाते तो कुछ ने साथ निभाया भी है
हुए कुछ पराये तो कुछ ने अपनाया भी है

कुछ सपने बांकी है अभी तो कुछ से खुद को मिलवाया भी है
छलके हैं कभी आंसू गम के तो कभी खुशियों ने महकाया भी है

फक्र से है सीखा सर उठाना तो गलतियों पे सर झुकाया भी है
कुछ का बना मैं सहारा तो कुछ ने सहारा दिलाया भी है

कुछ ने तोड़ा हौसला तो कुछ ने हौसला बंधाया भी है
कभी ये दिल रहा शांत तो कभी इसने गीत गुन-गुनाया भी है

खोया है कुछ तो कुछ पाया भी है
जिंदगी के सफर ने बहुत कुछ सिखाया भी है

HAPPY LABOR DAY

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Genius begins great works; Labor alone finishes them.      – Joseph Joubert

भूल जाऊँ उन्हें मै कैसे जिनके होने से है आज ये देश विक्सित
इन्हीं की बनाई सैकड़ों स्मारकें दुनियाभर में आज हैं चर्चित

धूप हो या बारिश, ना रोक सकी कोई इनके कदम
सामना करने कठिनाईओं का रहते तैयार ये हरदम

बिना शिकायत करते मेहनत रूखी -सूखी खाके
कितनी पीड़ा सहते लेकिन दुनिया को नहीं जताते

नींव हैं ये देश की ,जिसपे देश हमारा है खड़ा
देश के तरक्की पाने में हाथ इनका भी है बड़ा

झुका ना इनका हौंसला, कितने ही पड़े हाथ-पाँव में छालें
कैसे भूलूँ परिश्रम मैं इनका जिन्होंने तूफ़ान में भी हाथ ना डाले

कितना अच्छा होता

Clipart Illustration of Diverse Children Holding Hands And Stand

कितना अच्छा होता जो कोई धर्म ही ना होता
हर कोई अपने दिल में बस इंसानियत का बीज ही बोता

कितना अच्छा होता जो संसार में भेदभाव ना होता
फिर रोज- रोज के दंगो से इंसान कभी ना रोता

कितना अच्छा होता जो ये संसार ना बटा होता
एक-दूसरे को दबाने की जगाह एक-दूसरे के सहयोग को दौड़ता

कितना अच्छा होता जो ये पैसा ही ना होता
जिसके लालच में आकर इंसान अपनों को ना खोता

कितना अच्छा होता जो ना कोई मंदिर ना मस्जिद होता
पाता उसे तू खुद में ही, एक बार जो सच्चे दिल से खोजता

कितना अच्छा होता जो चारों ओर बस प्रेम ही प्रेम होता
ना नफरत का जन्म होता ना कोई किसी को कोस्ता